Contents
- 1 Shahpur Kandi Dam Project
- 2 भारत ने रोका रावी नदी का पानी पाकिस्तान त्राहीमान
- 3 चर्चा में क्यों ?
- 4 शाहपुर कंडी बाँध परियोजना
- 5 शाहपुर कंडी बाँध परियोजना से लाभ
- 6 परियोजना की लागत
- 7 रावी नदी
- 8 लाभांवित राज्य
- 9 पृष्ठभूमि
- 10 क्या भारत ने संधि का उल्लंघन किया?
- 11 प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय
- 12 जितेन्द्र सिंह का सराहना PM मोदी के लिए
- 13 पाकिस्तान पर पड़ेगा प्रभाव
Shahpur Kandi Dam Project
शाहपुर कंडी बैराज, रावी नदी, चर्चा में क्यों?, सिंधु जल संधि परियोजना से लाभ, परियोजना की लागत, परियोजना की पृष्ठभूमि, लाभांवित राज्य, पाकिस्तान पर पड़ा प्रभाव, प्रधान मोदी का निर्णय, संधि का उल्लंघन
भारत ने रोका रावी नदी का पानी पाकिस्तान त्राहीमान
भारत के वर्षों का सपना पूरा होने जा रहा है। अक्सर रावी नदी पर कोई बाँध न होने से सारा का सारा पानी पाकिस्तान पहुँच जाता था जिससे लगभग 5000 घरों को पानी की होती है परन्तु भारत को इसका लाभ प्राप्त नहीं होता था। 25 फरवरी 2024 को रावी नदी पर बाँध का सपना भारत का पूरा हो रहा है इसकी जानकारी विभिन्न प्रकार के मीडिया न्यूज से जोर पकड़ने लगी है। अब भारत, इस नदी के पानी को रास्ता बदलकर जम्मू-कश्मीर एवं पंजाब में भेज सकती है। जम्मू-कश्मीर तथा पंजाब में प्राय: पानी के बटवारे को लेकर झड़प होती रहती थी परन्तु बाँध के बनने से दोनों राज्यों के किसान एवं आम जनता काफी खुश है।
Credit-Greater kashmir
चर्चा में क्यों ?
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषण की है कि अब शाहपुर कंडी बैराज अपने अंतिम छोर पर पर पहुंच चुका है। इस बाँध के बन जाने से भारत के विभिन्न राज्यों को लाभ प्राप्त होने वाला है क्योंकि यह बाँध एक बहुउद्देशीय परियोजना का हिस्सा है। खासतौर पर क जम्मू- कश्मीर तथा पंजाब को इसका लाभ प्राप्त होगा। बिना पाकिस्तान का नाम लिये ही प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर गहरा वाँर किया है। उन्होंने कहा कि यह बाँध विश्व स्तर पर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण सिद्ध होने वाला है। ताकि समय पर दुश्मन को भी काबू में किया जा सकता है। यह बाँध भी दूर दृष्टि का ही परिणाम है। यह बाँध राजनीतिक स्तर पर एक गेम चेंजर साबित होगा।
शाहपुर कंडी बाँध परियोजना
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंजाब में रावी नंदी पर शाहपुर कंडी बाँध्य परियोजना को हरी झंडी दिखाई गयी है
(1) पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने 1995 में शाहपुर कंडी बौध परियोजना की आधारशिला रखी थी
(2) 2018 दिसंबर में मोदी सरकार ने शाहपुर कंडी बाँध को मंजूरी देते हुए कार्य तेज कर दिया।
(3) जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को 1150 क्यूसेक पानी का लाभ मिलेगा
(4) कटुआ और सांबा जिलों में 32,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई संभव है।
(5) जम्मू-कश्मीर और पंजाब की सरकारों के बीच विवादों से परियोजना साढ़े चार साल से अधिक समय तक निलंबित रही।
(6) यह परियोजना पंजाब के पठानकोट जिले में मौजूद रजीत सागर बाँध रावी नदी पर से नीचे को और स्थित है।
(7) रणजीत सागर बाँध द्वारा जो पानी छोड़ा जायेगा। उस पानी का उपयोग इस बाँध द्वारा बिजली बनाने में किया जायेगा।
(8) परियोजना का मुख्य उद्देश्य पंजाब एवं जुम्मू-कश्मीर क को सिंचाई एवं बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर करता है।
(9) इस बाँध्य का निर्माण पंजाब सरकार के सिंचाई विभाग कर रही है।
(10) इसमें 55.5 मीटर ऊँचा कंक्रीट ग्रेविटी बाँध, 7.70 km लंबा हाइडल चैनल है।
(11) इस परियोजना से 206 MW तक बिजली उत्पादन किया जायेगा।
(12) इस परियोजना में 6 बिजली घरों में स्थित सात हाइड्रो – जनरेटिंग सेट् शामिल है।
(13) प्रत्येक 33 मेगावाट का और एक 8 मेगावाट का है।
(14) शाहपुर कंडी बाँध से पाकिस्तान बेहाल ।
शाहपुर कंडी बाँध परियोजना से लाभ
(1) पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर दोनों राज्यों में जल की अति आवश्यकता है। इस परियोजना से पानी की बर्बादी को कम करने के साथ-ही-साथ दोनों राज्यों को लाभ होगा।
(2) परियोजना के पूरा होने से पंजाब राज्य में 5000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेयर (32,000) भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध
(3) परियोजना के पूरा होने पर पंजाब 200 मेगावाट जलविद्युत
(4) परियोजना के बनने से अकुशल श्रमिकों के लिये 6.2 लाख कार्य दिवस, अर्द्धकुशल श्रमिकों को 6.2 लाख कार्यदिवस तथा कुशल श्रमिकों को 1.67 लाख कार्यदिवस का रोजगार मिलेगा।
परियोजना की लागत
(1) 24 अगस्त 2019 को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की समिति ने राष्ट्रीय परियोजना के लिए लगभग इस 2285.81 करोड रुपये का बजट बनाया था।
(2) 31 अक्टूबर 2018 को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की समिति की 138 वी बैठक में दूसरी बार पुनर्विचार कर 2715. 70 करोड़ रुपये की राशि का बजट तैयार किया
(3) इस परियोजना के रूप में 16.04 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता 2009-10 से 2010-11 के दौरान प्रदान किया गया था।
(4) पुनः केंद्र सरकार ने 485.38 करोड़ रुपये की राशि सहायता के रूप में प्रदान किया।
रावी नदी
प्राचीन इतिहास के अनुसार रावी नदी को “इरावती” के नाम से जाना जाता है। वैदिक काल में इस रावी नदी को पुरुष्णी या इरावती के नाम से भी जाना जाता था। प्राचीन यूनानी के अनुसार “हाइड्रोट्स” और “हायरोटिस” के नाम से रावी नदी को भी जाना जाता था। रावी नदी भारत और पाकिस्तान की एक सीमा पार नदी, सिंधु नदी बेसिन का एक अभिन्न अंग है। रावी नदी का पानी पाकिस्तान में सिंधु नदी से होते हुए अरब सागर में गिरती है
(1) रावी नदी का उद्गम भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले को मुलथान तहसील में हिमालय से होता है।
(2) यह एक बारहमासी नदी है।
(3) यह पंजाब की पौपाँच नदियों में से सबसे छोटी है।
(4) रावी सहायक नदी – (a)बुधिल (b) नाई या धोना
(5) रावी की कुल लंबाई 720 किमी (450 मील)
Credit-wikipedia
लाभांवित राज्य
विशेष रूप से शाहपुर कंडी बाँध से पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर को लाभ मिलेगा।
पृष्ठभूमि
(1) सिंधु नदी के जल बँटवारे को लेकर भारत एवं पाकिस्तान दोनों ने World bank के मदद से सन् 1960 में संधि पत्र पर हस्ताक्षर किये थे।
(2) संधि के तहत भारत को 3 नदियों- रावी, व्यास और सतलज के जल का उपयोग का अधिकार प्राप्त है। जबकि पाकिस्तान को 3 नदियों का
(3) इस परियोजना से भारत पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है।
(4) पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच 1979 में एक द्विपक्षीय समझौता रंजीत सागर डैम और शाहपुर कंडी को लकर हुआ था। रंजीत सागर डैम का कार्य अगस्त 2000 में पूरा हो गया था।
(5) शाहपुर कंडी डैम परियोजना रावी नदी पर रंजीत सागर डेम से 11 km अनुप्रवाह तथा माधोपुर हेडवर्क्स से 8km प्रतिप्रवाह पर स्थित है।
(6) दोनों राज्यों के विवाद के कारण योजना को साढ़े चार साल के लिए निलंबित कर दिया गया।
(7) अंततः पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर 8 सिंतबर 2018 को नई दिल्ली में मोदी सरकार के सामने समझौते पर सहमति हो गयी।
क्या भारत ने संधि का उल्लंघन किया?
नहीं भारत ने संधि का उल्लंघन नहीं किया है क्योंकि रावी नदी भारत के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसलिए भारत इस नदी पर उचित कार्यवाही कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सही मायने में दूरदर्शिता रखने वाले व्यक्ति है क्योंकि भारत जहाँ एक ओर आतंकवाद से लड़ रहा है तो दूसरी ओर विश्व स्वर पर प्रसिद्धि भी प्राप्त कर रहा है। मोदी चाहते हैं कि आतंकबाद को खत्म करने के लिए उस पर चौतरफा हमला किया जाय। पाकिस्तान कभी भी सुधार नहीं चाहता है इसलिए अपने देश को आतंरिक सुरक्षा के लिए यह बैराज का निर्माण अति आवश्यक है। साढ़े चार साल निलंबन के पश्चात 8 सिंतबर 2018 को इस परियोजना को हरी झंडी सरकार के द्वारा दिखाया गया। जबकि यह परियोजना लगभग 70 वर्षों से रूकी हुई थी।
जितेन्द्र सिंह का सराहना PM मोदी के लिए
केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने रविवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना को प्राथमिकता देकर जम्मू-कश्मीर के 4000 एकड़ कृषि भूमि को सिंचित करने का साधन प्रदाने किया ही विकसित भारत और विकसित जम्मू कश्मीर बनाने के लिए मोदी सरकार गरीबों, किसानों, युवाओं और महिला सशक्तिकरण पर आधारित है।
पाकिस्तान पर पड़ेगा प्रभाव
शाहपुर कंडी बाँध निर्माण के कारण रावी नदी का पानी अब पाकिस्तान नहीं जायेगा बल्कि भारत इसका उपयोग बिजली उत्पादन एवं सिंचाई में करने जा रहा है। विशेषज्ञ का माने तो कहा जा रहा है कि पाकिस्तान अब पानी के लिए भी संघर्ष करेगा क्योंकि हजारो क्यूसेक पानी पाकिस्तान फ्री में प्राप्त करता था परन्तु भारत के कदम से अब यह संभव नहीं है। पाकिस्तान पानी की बूंद-बूंद के लिए भी तरस जायेगा।
Official website-https://en-m-wikipedia-org.translate.goog/wiki/Shahpurkandi_dam_project?
Youtube link-https://www.youtube.com/live/sxNDvigpyyc?si=4CEc3o7o6hxHb1HO
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