International Mother Language Day 21 February
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
Credit-Zee Bisiness
विश्व स्तर पर प्रत्येक साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की महत्ता इस लिए भी बढ़ जाती है क्योंकि जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है तो उसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपनी मातृभाषा को सीखना पड़ता है। दुनियाभर में मातृ भाषाओं का प्रचार- प्रसार एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए भी 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में UNESCO द्वारा चिन्हित किया गया है।
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी 2024 में मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मैं इस बात पर गौर फरमाया गया कि पूरा विश्व आधुनिकीकरण, वैश्वीकरण, औद्योगिककरण, व्यापार, तकनीकी , अंतरिक्ष विज्ञान आदि क्षेत्रों के होड़ में खरा उतरा है। परन्तु अलग- अलग देश अपनी कम शिक्षा के कारण अपनी कई भाषाओं को भूलते चले जा रहे हैं।
वर्ष 2024 की थीम
बहुभाषी शिक्षा है पीढ़ीगत शिक्षा का आधार है।
उद्देश्य
UNESCO ने भाषण की विरासत को जिंदा रखने के लिए पूरे विश्व से 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा मनाने के लिए जोर दिया है। ताकि विभिन्न प्रकार के देशों की भाषायी विरासत को संरक्षित किया जा सके।
चिंता
संयुक्त राष्ट्र अर्थात् UN की रिपोर्ट के अनुसार हर दो सप्ताह में एक भाषा लुप्त हो जा रही है और संसार से कई भाषाओं का नाम तक मर चुका है। साथ ही साथ हम अपनी बौद्धिक एवं संस्कृतिक विरासत भी खाते जा रहे हैं। इस संदर्भ में यदि भारत की बात करे तो, भारत में राज्य के साथ-साथ किलोमीटर के रूप से भाषाएँ बदलती है। ओडिशा में 6 जनजातीय भाषाओं में केवल एक लिखित लिपि है। यदि ऐसा ही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जिससे पृथ्वी पर से कई भाषाएँ समाप्त हो जाएगी और केवल गिनी चुनी भाषा ही शेष के रूप में रह जायेगी।
भाषाओं के संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर प्रयास
UN ने 2022 और 2032 के मध्य की अवधि को स्वदेशी भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय दशक के रूप में घोषित किया है। जबकि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2019 को को स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय साल घोषित किया था। भाज विश्व स्तर पर कई देशों ने अपने मातृभाषा के साथ ही साथ स्थानीय भाषाओं को भी बचाने के लिए कई App डिवलप किया, विभिन्न प्रकार की अलग- अलग वेबसाइट भाषाओं को बचाने के लिए अपने आर्टिक को publish करती है। अकेले Wikipedia जैसी Website 262 से अधिक भाषाओं में लिखती हैं।
भारत की पहल
[1] भारत सरकार ने “भाषा संगम” नामक कार्यक्रम शुरु किया है।
[2] भारत सरकार ने केन्द्रीय भाषा संस्थान की भी स्थापना की है जहाँ भारतीय भाषाओं पर बड़े-बड़े विद्वान अनुसंधान कर भाषाओं की बरक्षा के लाथ-साथ नई भाषाओं पर भी काम कर रहे हैं।
[3] वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की स्थापना सन् 1961 में भाषा संरक्षण के लिए किया गया था।
[4] राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के शुरुआती चरणों से ही उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में पठन-पाठन का कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
भारत में हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली मातृभाषा
भारत में 19,500 से ज्यादा मातृभाषा हैं। साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में 43.63 फीसदी लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं। दूसरे नंबर पर बांग्ला और तीसरे नंबर पर मराठी भाषा है। वहीं गैर सूचीबद्ध भाषाओं की बात करें, तो राजस्थान में बोली जाने वाली भीली है।
इतिहास
बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम ने ही 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के लिए सुझाव दिया था। दरअसल इस दिवस को मनाने की शुरुआत बांग्लादेश द्वारा की गई थी सन् 1999 में यूनेस्कों ने इस प्रस्ताव पर हामी भरी थी इसके बाद 21 फरवरी २००० से यह दिवस पूरे विश्व विश्व भर में मनाया जाने लगा
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