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जैन धर्म के महान संत “आचार्य विद्यासागर जी” ने ली समाधि
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विश्व सुविख्याल जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में 3 दिन उपवास के बाद अपना शरीर का त्याग कर दिया। यह 18 फरवरी का दिन पूरे भारतवर्ष एवं खासकर जैन समाज के लिए काफी निराशा का दिन है। आचार्य विद्यासागर जी महाराज को समाज के वर्तमान समय का “वर्धमान” कहा जाता है। शनिवार की रात 2:35 में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया और स्वर्ग लोक
की ओर अग्रसर हो गये। शरीर त्याग करने के पूर्व महाराज ने अखंड उपवास धारण कर लिया था। “आचार्य विद्यासागर”, “आचार्य ज्ञान सागर” के शिष्य थे। आचार्य ने अपना शरीर 77 साल रविवार को त्याग किया। पूरे धूमधाम से उनका अंतिम संस्कार किया गया
आचार्य विद्यासागर से PM मोदी की मुलाकात
पिछले साल 5 नवंबर को भारत देश के महान नेता PM मोदी विद्यासागर जी महाराज से डोंगरगढ़ पहुँच कर आचार्य विद्यासागर से आशीर्वाद ग्रहण किया था। PM मोदी मीडिया ने सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा की है। मोदी सोशल मीडिया में लिखते हैं कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर मेरा जीवन धन्य हो गया।
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अब अगला आचार्य
जिस प्रकार इनके गुरु आचार्य ज्ञान सागर ने समाधि से 3 दिन पूर्व आचार्य विद्यासागर जी को यह पद पर नियुक्त किया था उसी प्रकार आचार्य विद्यासागर जी महाराज अपने शरीर त्यागने से है 3 दिन पूर्व ही अगला आचार्य नियुक्त कर दिया था। उन्होने अगले आचार्य के रूप में अपने पहले शिष्य “निर्यापक श्रमण मुनि समयसागर” को सौंप दिया है। यह शुभ कार्य उनके हाथों से 6 फरवरी को कर दिया गया था।
अंतिम संस्कार विधि
जैन समाज के साथ पूरा भारतवर्ष यह सूचना सुनकर शोक में डूब चुका है साथ ही उनके पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती चली गयी। अंतत: 1 बजे पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से कर दिया गया।
बैठक से पूर्व 1 मिनट का मौन
आचार्य विद्यासागर जी के गुजर जाने पर भाजपा सरकार ने केन्द्र बैठक से पूर्व 1 मिनट का मौन धारण किया.तत्पश्चात् उन्हें नमन किया गया। इस अवसर पर दिग्गज नेता नरेन्द्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित हजारों कार्यकर्ता लोग भी शामिल हुए।
जन्म के संबंध में
जैन संत विद्यासागर का जन्म देश की आजादी के पहले कर्नाटक के बेलगाँव के सदलगा गाँव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके परिवार में 3 भाई और 2 बहनें हैं। तीन भाईयों में 2 जैन मुनि बने साथ ही बहनों ने भी ब्रह्मचर्य धारण किया। बताया जाता है कि आचार्य विद्यारसागर ने अभी तक लगभग 500 से ज्यादा मुनि को दीक्षा प्रदान की है।1968 में 22 वर्ष की आयु में, आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज द्वारा दिगंबर साधु के रूप में दीक्षा दी गई। 1972 में उन्हें 1972 में आचार्य का दर्जा दिया गया।
अपने पूरे जीवन में, आचार्य विद्यासागर महाराज जैन धर्मग्रंथों और दर्शन के अध्ययन और अनुप्रयोग में गहराई से लगे रहे।
Link –https://en.m.wikipedia.org/wiki/Acharya_Vidyasagar
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सकारात्मकता
- – समाज कल्याण में हमेशा कार्य करते थे। कभी धन का संग्रह नहीं करते थे।
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