Contents
Electoral bonds system:कब हुई चुनावी बॉन्ड की शुरुआत ,कौन चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है?,शुरुआत,सुप्रीम कोर्ट
चुनावी बॉन्ड
भारत जैसे देशों में राजनीतिक दलों को फंडिंग या दान के रूप में दिया जाना वाला एक तरीका है। अर्थात् चुनाव बॉन्ड का मतलब एक ऐसा (बॉन्ड) वचन पत्र जिसे आम नागरिक या कोई कंपनी भारतीय स्टेट बैंक के किसी भी शाखा से खरीद सकती है और ये बॉन्ड खरीदने वाला नागरिक या कंपनी अपनी इच्छा अनुसार किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को दान स्वरूप दे सकती है इसके पश्चात् कोई भी व्यक्ति या पार्टी फिर चेक के इन बॉन्ड को डिजिटल रूप में खरीद सकती है। कहा जा सकता है कि ये बॉन्ड बैंक के नोटों के समान होता है जो किसी की माँग पर बेचा जा सकता है।
Photo credit-Amar Ujala
बॉन्ड की उपलब्धता
ये चुनावी बॉन्ड कम से कम 1000 रुपये एवं अधिकतम एक करोड़ रुपये का हो सकता है। इसके अलावे 10,000 रुपये , 1 लाख, 10 लाख आदि संभव है।
कब हुई चुनावी बॉन्ड की शुरुआत
सत्र 2017-2018 के बजट के साथ इस विधेयक को लाया गया था। 2017 में इसे पेश किया गया और 2018 में यह कानून का रूप लेकर कार्य करना शुरू कर दिया था। अरुण जेटली द्वारा चुनावी बॉन्ड को जनवरी 2018 में नियम का रूप दे दिया गया।
विशेषता चुनावी बॉन्ड का
(1) भारतीय स्टेट बैंक 1,000 रु., 10000, 1 लाख, 10 लाख, और 1 करोड़ रुपये के बॉन्ड को जारी करती है।
(2) यह बॉन्ड ब्याज से मुक्त होता है।
(3) इसे कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित संस्था इसे खरीदने का अधिकार रखती है।
(5)इसे या तो private व्यक्ति या संयुक्त होकर भी खरीदा जा सकता है।
(6) जारी होने की तारीख से मात्र 15 दिनों के लिए वैध माना जाता है।
Credit -jagran
कौन-सा राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है?
संविधान के अधिनियम 1951 की धारा 29 A के तहत कोई भी भारतीय पंजीकृत राजनीतिक दल जो पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधान सभा चुनाव में कम-से-कम percent वोट प्राप्त किया हो।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित क्यों किया ?
15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। क्योंकि लगभग 8 सालों से सुप्रीम कोर्ट में इस पर चर्चा चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि चुनावी बॉन्ड योजना भारतीय संविधान की के अनुच्छेद 19 (A) का उल्लंघन करता है।इस लिए इसे रद्द किया जाता है।
Crefit-NBT
चुनावी बॉन्ड का उद्देश्य
सरकार का दावा था कि इस योजना से राजनीतिक फंडिंग के मामले में पारदर्शिता बढ़ेगी। इस योजना के तहत कंपनी या नागरिक अपने पसंद के पालिटिकल पार्टी को चंदा मुहैया करायेगे।
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बॉन्ड को चुनौती देने वाली अपीलो को पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सौंपी है। “वोलकटन” के मत के अनुसार- यह राजनीतिक फंडिंग में प्रभावित करता है। जबकि केन्द्र सरकार ने इस योजना को चुनावी सुधार बताया था जो चुनाव प्रदर्शिता से संबंधित था।
नोट
(1) राजनीतिक दल को गुप्त दान वैधानिकता और राजनीतिक धर्म के सिद्धांतों का हनन, संप्रदाय के रूप में बढ़ावा दिया जा सकता है।
(2) यह मुद्दा संविधान के अनुच्छेद 19, 14 और. 21 का उल्लंघन से संबंधित है।
पॉलिटिकल पार्टी को चुनाव बॉन्ड से लाभ
(1) पॉलिटिकल पार्टी को फंडिंग की कोई चिंता नहीं।
(2) धन के रूप में प्राप्त दान के उपयोग का विवरण।
(3)नुकसान लेन-देन में कमी।
(4) दान देने वाले की गोपनीयता का संरक्षण
Official website-https://www.drishtiias.com/hindi/burning-issues-of-the-month/politics-of-electoral-bond
Calvin Klein latest News biography
Mahatma Gandhi introduction 2024
TNPSC GROUP 4 NOTIFICATION 6244
Teddy Bear day 10 February latest News